Sunday, April 25, 2010

ऑफर की दुनिया

ऑफर की दुनिया बड़ी अजीब, मांगे ये हुनर असीम
खो गए इसमें जो, बस हो गए इसके वो
एक ऑफर को देख कर दूजे की याद, और फिर आपस में तुलना की खाज
लगा दी कई वेबसाइट को छलांग, पर ऑफर का कम नहीं होता स्वांग
सब्जी से लेकर कागज कलम तक, और बेडरूम से लेकर drawing रूम तक
कभी कट करते हैं तो कभी कूपन कोड लगाते है, और कभी दुकानों के दर दर भटकते है
ये हमें खूब काम में लगाए रखते है, और कभी कभी मेल इन rebate के इंतजार में खिजाए रखते है
ये ऑफर बड़े बेलगाम और बेरहम होते हैं, फिर भी जाने अनजाने हम सब इनके दीवाने होते है
जय हो ऑफर महाराज की, ये न होते तो हम पता नहीं आज कहाँ होते
हो सकता है उस टाइम ब्लॉग लिख रहे होते, या फिर रसोई में बीबी का हाथ बटा रहे होते
पर इनके होते हम कही नहीं होते, सिर्फ गूगल और जंक मेल में ही खपे और गपे रहते

"एक सम्बंधित लेख मेरे ब्लॉग मेरी आवाज पर"

Thursday, April 15, 2010

जननी जन्मभूमिस्च स्वर्गादपि गरीयसी


माँ की याद में कुछ पंक्तियाँ

निश्छल निर्विकार न्यारी
हर पल मेरी हितकारी
सपनों में भी दुलारी
ममता में सनी बाबरी
ऐसी होती है माँ प्यारी !

तेरा स्पर्श जैसे सम्बल और सुकून
तेरा ममता का आँचल बन गया सामर्थ्य
तुझसे बढ़कर प्रेरणा और क्या होगी
तुझको देखा तो जाना ईश्वर का रूप

हर पल मुझे सोचती माँ
कोसों दूर से भी मेरे हर पल को जानती माँ
हर मंदिर में मेरे लिए दिए सजाती माँ
मेरी हर गलती को मांफ करती माँ
मुझे आंचल के साए में सुलाती माँ
मेरे हर पथ पर साथ निभाती माँ
मेरी छोटी बड़ी खुशियों में उन्मादी माँ
हर वक़्त, अपने लाडले पर सयाती माँ

में रोऊँ या चिल्लाऊं
या फिर गीत ख़ुशी के गाऊं
चाहे कहीं भी में चला जाऊं
और कुछ भी में कर डालूं
बस एक बात में जानूं
तू में हूँ और मैं तू हूँ

~राम त्यागी
अप्रैल १५ 2010

Thursday, April 1, 2010

असमंजस


लिखता हूँ , मिटाता हूँ , सोचता सा रहता हूँ
प्रस्तावना लिखने का मन बना न पाता हूँ
न जाने किस असमंजस में हूँ मैं !

शब्दों के असीमित भंडार से शब्द जुटा न पाता हूँ
अनगिनत मुद्दों से मनचाहा विषय खोज न पाता हूँ
न जाने किस असमंजस में हूँ मैं !

बहुत कुछ सीखकर भी अन्जान सा हूँ
धूप में छांव और जागते में सोने की राह देखता हूँ
न जाने किस असमंजस में हूँ मैं !

यह, वह, यहाँ, वहां, मन, दिल, डील और नो डील
इसी उहापोह का तार्किक विश्लेषण करता रहता हूँ
न जाने किस असमंजस में हूँ मैं !


~ राम त्यागी