मैं ना रुकूँगा
ना ही हारूँगा
बस प्रयास के रास्ते
बढता ही जाऊँगा !!
सपने संजोकर
कर्मठ की कसौटी पर
आशा के दीप जला
बढता ही जाऊँगा !!
नदिया का बहना
सूरज का उगना
सीख लेकर प्रकृति से
बढता ही जाऊँगा !!
मैं यहाँ पर अपनी कविताओ का परिचय आपके साथ कराने की कोशिश कर रहा हूँ, आशा करता हूँ की आपको मेरी रचनायें पसंद आयेंगी |
मैं ना रुकूँगा
ना ही हारूँगा
बस प्रयास के रास्ते
बढता ही जाऊँगा !!
सपने संजोकर
कर्मठ की कसौटी पर
आशा के दीप जला
बढता ही जाऊँगा !!
नदिया का बहना
सूरज का उगना
सीख लेकर प्रकृति से
बढता ही जाऊँगा !!
कुछ यादें ऐसी होती हैं
जो भूले ना जाती हैं
इनका स्मरण
खुसी के आँसुओं
से मुझे
ओस की बूंदों की भांति
प्रुफुल्लित कर देता है
मानस पर अंकित ये यादें
मंद मंद बयार की भाँती
मुझे सपनों में ले जाती हैं
अपनी गोद में लिटा कर
माँ के आँचल सा
आभास दे जाती हैं
मैं सोचता सा रहता हूँ
विवश करता हूँ
खुद को
उन यादों में फिर से जाने को
उन्मुक्त है मन
फिर से
वही राग गाने को
जो अब बसता है
सिर्फ यादों के आसमाँ में
मैं मस्त मौला
फिक्र से दूर
अरमानो के समुन्दर में
डुबकी लगा लगा कर
विचारों की उद्वेलना से दूर
तटों की खोज से बेपरख
अपनों के वटवृक्ष जैसी छाया तले
दो वक्त की रोटी
सुकून से खा रहा था
महत्वाकांक्षा की आंधी ने
विचारों को ऐसा उद्वेलित किया
मन ही मन सपनों के जाल बुन
पता नहीं कैसी उधड़बुन
के चक्रवातों में फँसा
झूठे दिलासे देता रहा
मन को बहलाने के तरीके ढूंढता फिरता
ऐसे चक्रव्यूह में जा घुसा
जहाँ सिर्फ यादें ही मनोहारी हैं ….
तर्कों के तीर
आवेशों के वेग
वर्तमान को जीने की देते हैं सीख
यादों का इन्द्रधनुषी रूप
शीतल करता
फिर से वहीं बुलाता
जहाँ से शुरू हुई थी ये दौड
परिवर्तन ही तो मुझको
चलायमान कर जाता
वरना मेरे भावों को
कौन प्रखर कर पाता
बीते पल सुमधुर यादों के
शायद विस्मृत हो जाते
परिवर्तन नकार के पन्ने
इतिहास न बनने पाते