कल वाल स्ट्रीट पर इन्द्रधनुष देखा
अमीरों को तरह तरह के स्वांग करते देखा
किसी को अपने लाडले कुत्ते को घुमाते देखा
तो किसी को पास के जिम में वर्जिश करते देखा
इन सबसे दूर
रात के अँधेरे में,
एक गरीब वृद्ध को अपने लाडले के जीवन के लिए
खाली पड़ी हुई,
बिखरी हुई बोतलें बीनते भी देखा !!
10 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं
हुक्का चोर पकड़ में आया--पहचानिए
रात के अँधेरे में,
एक गरीब वृद्ध को अपने लाडले के जीवन के लिए
खाली पड़ी हुई,
बिखरी हुई बोतलें बीनते भी देखा !!
..sach mein aise nazare dekh man mein ek gahre tees ubhar aati hai..
बहुत ही उम्दा पोस्ट
अच्छा लगा.
जीवन के सब रंग दिखते हैं, धन के इस चौखट पे। बड़ी सुन्दर कृति।
बहुत कुछ कह डाला आपने सर जी :)
बहुत ही उम्दा पोस्ट
अच्छा लगा.
nice and touching
ज़बरदस्त रचना... शुभकामनायें...
bahut achhi prastuti!
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