हो जाते हैं अपनी महिमा में शुरू
आलीशान महलों में रहते ये गुरु
रोज रोज बदलें वाहन ये गुरु
कहते है में ना कभी मरूं
नश्वर हो जाते है खुद ही ये गुरु
फूलों पर चलते हैं ये गुरु
दूसरों को हर मर्ज की दवा देते ये हुजुर
खुद बीमार हों तो डाक्टर के पास जाते गुरु
भाई इन्सान ही होता है गुरु
फिर क्यों समझे खुदा से आगे खुद को गुरु
एक लेख मेरे अन्य ब्लॉग मेरी आवाज पर इसी विषय पर पढ़ा जा सकता है. धन्यवाद !!
No comments:
Post a Comment