मैं ना रुकूँगा
ना ही हारूँगा
बस प्रयास के रास्ते
बढता ही जाऊँगा !!
सपने संजोकर
कर्मठ की कसौटी पर
आशा के दीप जला
बढता ही जाऊँगा !!
नदिया का बहना
सूरज का उगना
सीख लेकर प्रकृति से
बढता ही जाऊँगा !!
मैं यहाँ पर अपनी कविताओ का परिचय आपके साथ कराने की कोशिश कर रहा हूँ, आशा करता हूँ की आपको मेरी रचनायें पसंद आयेंगी |
9 comments:
nice
आशावाद से उद्दीप्त हृदय। भहुत उत्साह मिला पढ़ कर।
सकारात्मक सोच को लिए सुन्दर अभिव्यक्ति ...
प्रिय राम भाई,
आपने साखी पर मेरी कविताएं पढ़ीं उन पर प्रतिक्रिया दी। शुक्रिया। मेरा बचपन भी मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील में बीता है।
मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
धन्यवाद आप सभी के उत्साह वर्धन का !!
बढ़ते ही जाएँ क्यूंकि बढ़ाना ही जीवन है ...!
नदिया का बहना
सूरज का उगना
सीख लेकर प्रकृति से
बढता ही जाऊँगा
बढ़ना ही तो जीवन है ... पीछे मुड़ने का क्या काम ... अनुपम रचना है ...
प्रेरणादायक ,उर्जा से भरपूर बहुत सुन्दर रचना...
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