Saturday, August 7, 2010

इन्द्रधनुष

कल वाल स्ट्रीट पर इन्द्रधनुष देखा

अमीरों को तरह तरह के स्वांग करते देखा

किसी को अपने लाडले कुत्ते को घुमाते देखा

तो किसी को पास के जिम में वर्जिश करते देखा

इन सबसे दूर

रात के अँधेरे में,

एक गरीब वृद्ध को अपने लाडले के जीवन के लिए

खाली पड़ी हुई,

बिखरी हुई बोतलें बीनते भी देखा !!

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मेरी आवाज

10 comments:

राजभाषा हिंदी said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं


हुक्का चोर पकड़ में आया--पहचानिए

कविता रावत said...

रात के अँधेरे में,
एक गरीब वृद्ध को अपने लाडले के जीवन के लिए
खाली पड़ी हुई,
बिखरी हुई बोतलें बीनते भी देखा !!
..sach mein aise nazare dekh man mein ek gahre tees ubhar aati hai..

राजकुमार सोनी said...

बहुत ही उम्दा पोस्ट
अच्छा लगा.

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन के सब रंग दिखते हैं, धन के इस चौखट पे। बड़ी सुन्दर कृति।

abhi said...

बहुत कुछ कह डाला आपने सर जी :)

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही उम्दा पोस्ट
अच्छा लगा.

Sajal Ehsaas said...

nice and touching

Anonymous said...

ज़बरदस्त रचना... शुभकामनायें...

HBMedia said...

bahut achhi prastuti!