संगीत की धुन ऐसी मधुर
नहीं चाहिए अब कोई विदुर
भाषा भी देखो हो गयी निगुण
मन को मोह लें इसके ताल और सुर
इसको रचे कोई प्राणी चतुर
इसमें भरा है आनंद प्रचुर
मेरी आवाज
गिरगिट के रंगो से भरा नीरस चुनाव
5 years ago
मैं यहाँ पर अपनी कविताओ का परिचय आपके साथ कराने की कोशिश कर रहा हूँ, आशा करता हूँ की आपको मेरी रचनायें पसंद आयेंगी |
1 comment:
वाह क्या रचना प्रस्तुत की आपने..सुंदर भावपूर्ण और लयबद्ध
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