Friday, July 16, 2010

परिवर्तन

परिवर्तन ही तो मुझको

चलायमान कर जाता

वरना मेरे भावों को

कौन प्रखर कर पाता

बीते पल  सुमधुर यादों के

शायद विस्मृत हो जाते

परिवर्तन नकार के पन्ने

इतिहास न बनने पाते

 

मेरी आवाज

4 comments:

Udan Tashtari said...

परिवर्तन के साथ कदम ताल मिलाये बिना जीवन निरर्थक है..बहुत उम्दा संदेश दे रही है यह रचना..रचना छोटी..संदेश बड़ा. बधाई.

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया प्रस्तुति..सुंदर रचना के लिए आभार

प्रवीण पाण्डेय said...

परिवर्तन इतिहास को गति प्रदान करता है।

अजय कुमार said...

परिवर्तन प्रक्रिति का नियम है ,सामंजस्य बिठा कर आगे बढ़िये ,अच्छी रचना ।