Monday, July 19, 2010

यादें

कुछ यादें ऐसी होती हैं

जो भूले ना जाती हैं

इनका स्मरण

खुसी के आँसुओं

से मुझे

ओस की बूंदों की भांति

प्रुफुल्लित कर देता है

 

मानस पर अंकित ये यादें

मंद मंद बयार की भाँती

मुझे सपनों में ले जाती हैं

अपनी गोद में लिटा कर

माँ के आँचल सा

आभास दे जाती हैं

 

मैं सोचता सा रहता हूँ

विवश करता हूँ

खुद को

उन यादों में फिर से जाने को

उन्मुक्त है मन

फिर से

वही राग गाने को

जो अब बसता है

सिर्फ यादों के आसमाँ में

 

मैं मस्त मौला

फिक्र से दूर

अरमानो के समुन्दर में

डुबकी लगा लगा कर

विचारों की उद्वेलना से दूर

तटों की खोज से बेपरख

अपनों के वटवृक्ष जैसी छाया तले

दो वक्त की रोटी

सुकून से खा रहा था

 

महत्वाकांक्षा की आंधी ने

विचारों को ऐसा उद्वेलित किया

मन ही मन सपनों के जाल बुन

पता नहीं कैसी उधड़बुन

के चक्रवातों में फँसा

झूठे दिलासे देता रहा

मन को बहलाने के तरीके ढूंढता फिरता

ऐसे चक्रव्यूह में जा घुसा

जहाँ सिर्फ यादें ही मनोहारी हैं  ….

 

तर्कों के तीर

आवेशों के वेग

वर्तमान को जीने की देते हैं सीख

यादों का इन्द्रधनुषी रूप

शीतल करता

फिर से वहीं बुलाता

जहाँ से शुरू हुई थी ये दौड

 

मेरी आवाज

7 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

राम त्‍यागी जी, बहुत सशक्‍त अभिव्‍यक्ति है बधाई।

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी सुन्दर कविता। कई बार ऐसा लगता है कि जहाँ से प्रारम्भ किया था, जीवन वहीं पर ही ले जायें।

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

Anonymous said...

अभी जवान हो,बच्चे भी छोटे हैं.कम लो.भावुकता से जीवन नही बीतता.रिश्तों को निभाने के लिए,कर्त्तव्यों को पूरा करने के लिए 'पैसा' चाहिए और सुखी जीवन जीने के लिए भी.अभाव कई दुखों का कारन बन जाता है ये कड़वा सच है.इसलिए मन को विचलित ना करो.यादों को सहेजे रखो,उन्हें अपनी ताकत बना लो. तनाव,यादों सबको शब्दों में ढाल कर पोस्ट कर दो.बस...खुश रहो.तुम्हारी कविता में तुम्हे,तुम्हारे अंतर्मन को पढती हूँ हमेशा,जो अभि भी बच्चों-सा है.ठुनकता है और रह रह कर वो खिलौना चाहता है जो उसके पास नही,उससे बहुत दूर है.है ना? प्यार

राम त्यागी said...

आप सभी लोगों का प्यार मिला बस मन खिल सा गया है ! इंदु बुआ जी के आत्मीय कमेन्ट ने उत्साह को एक नयी स्फूर्ति दी हैं !