तपती हुई गर्मी में
झोला लेकर निकले
सायकिल में मारे पैडल जोर से
चिट्ठी घर घर देता डाकिया
सुई लगाता घर घर बीमार सा डाकधर
सरपंच अपनी अथाई पर बैठा मरोड़े मूछ
पर कोई नेता नही इनको रहा पूछ
पटवारी ने खाट के ऊपर बनाया अपना ऑफिस
मास्टर साहब ने टुइशन के बहाने घर को ही बनाया स्कूल
इंजिनियर ने दे दिया सारा काम ठेकेदार को
जनता की लगा दी बाट खा गए सारे पैसे को
रोड को कर दिया सकरा
तभी तो अब इनके घर में कटेगा बकरा
थानेदार साहब से परेशान है सुनार
रिश्वत लेते है ये बेसुमार
राजनीतिक निराशा
11 years ago



No comments:
Post a Comment