Thursday, May 20, 2010

भोपाल गैस त्रासदी की याद में

भोपाल गैस त्रासदी की याद में एक लेख लिखा था मैंने कल, उसी में लिखे मन के कुछ काव्य भाव

मेरी आँखे नम हैं, दिल में अजीब सा दर्द है
और अंतर्द्वंद कई दिन और सालों से ...
उंगलिया लिखती ही जायेंगी
फिर भी उनका दर्द बयां नहीं कर पाएंगी
कैसे दर्द को झेला होगा अनगिनत को गिनते गिनते
आंसू भी कम पड़ गए होंगे शब्दों की तो बात क्या
कहीं पालनहार न रहा तो कहीं बुझ गयी मासूम किलकारी
कोई जिन्दा तो रहा पर मरने से भी बदतर रहा
गरीबी में ही क्यों होता आटा गीला
शायद भगवान् से भी गलती हो गयी होगी

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