कल की सुबह फिर एक नयी सुबह
सूरज भी उगेगा फिर से कल की सुबह
पक्षी भी चहकेंगे फिर से कल की सुबह
मेरी आशा बल देगी कर्म का फिर से कल की सुबह
हम होंगे कामयाब फिर से कल की सुबह ....
PS : इससे संबधित एक लेख मेरे ब्लॉग मेरी आवाज पर पढ़ा जा सकता है.
मैं यहाँ पर अपनी कविताओ का परिचय आपके साथ कराने की कोशिश कर रहा हूँ, आशा करता हूँ की आपको मेरी रचनायें पसंद आयेंगी |
1 comment:
बहुत ही सुंदर विचार।
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क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
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