Tuesday, May 18, 2010

सुबह


कल की सुबह फिर एक नयी सुबह
सूरज भी उगेगा फिर से कल की सुबह
पक्षी भी चहकेंगे फिर से कल की सुबह
मेरी आशा बल देगी कर्म का फिर से कल की सुबह
हम होंगे कामयाब फिर से कल की सुबह ....

 
PS : इससे संबधित एक लेख मेरे ब्लॉग मेरी आवाज पर पढ़ा जा सकता है.