Monday, May 31, 2010

देश से दूर ...


आज कुछ वृद्ध लोंगों को बतियाते देखा
देश से दूर केवल देश की बात करते देखा
अंग्रेजी में देसी लहजे का स्वाद चखते  देखा
और फिर अचानक देसी भाषा में चुटियाते देखा
कभी दर्द को उभरते देखा
तो कभी बचपन  को याद करते देखा
हर चुटकी में अपनो को दूर होते देखा
बस पुराने लम्हों का अहसास होते देखा
और फिर अचानक से अपने आप को देखा
कल मुझे भी ऐसा होते ही देखा

1 comment:

Santosh said...

its so nice
but khud ko us jagah dekha ye samaj me nahi aaya......